भ्रष्टाचार
भ्रष्टाचार एक आदमी पंहुचा भगवान् के पास, उसका चेहरा था लटका वो था उदास, भगवान पूँछा क्या हुआ , ऊपर आने में कोई लफड़ा हुआ , कुछ देर बाद वो आदमी बोला , भगवान् अभी मेरी उम्र थी सोला , इतनी जल्दी मुझे क्यों मारा , क्या मैं आपको था इतना प्यारा, मै नीचे भूख से मर गया , और वह से सीधे ही तर गया , तब भगवान् क्रोध में आये , फिर थोड़ा मुस्कुराये , तू इसलिए मरा , क्यूकी तूने भ्रष्टाचार नहीं करा , न ही तूने दिया भ्रष्टाचारियो का साथ , न ही मिलाया कभी उनसे हाथ , अगर तुझमे होती अक्ल , तो तू भी करता क़त्ल , तूने वहाँ किसी को नहीं लूटा , सबने दिखया तुझे अंगूठा , अगर तू क़त्ल से न डरता , तो तू इतनी जल्दी क्यों मरता , क़त्ल करने से तुझे भी मिलते नोट , और जतना तुझे भी देती वोट , तेरी जिंदगी में न होती झाड़ियाँ , तुझे भी मिलती बहुत सारी गाड़ियां , तू भी करता भ्रष्टाचार , तुझे भी पता चलता दुनिआ का सार , अब भगवान् समाधी लगा गए , आगे रखे फल भी खा गए, पून :भगवान् ने नेत्र खोले , और फिर गरज कर बोले , तुझे तो हरामी नरक मिलेगा , बचाना चाहता तो ...