friendship day special...

यह तो सत्य है की जैसे जैसे उम्र दर्ज होते जा रहे वैसे वैसे हमारी जिम्मेदारी बढ़ती पारिवारिक , सामाजिक जिम्मेदारियों में उलझ जाते है , और हमें अपने बचपन व स्कूल के लंगोटिया मित्रो से बात करने की फुरसत ही नहीं मिलती है ,इस भागदौड़ भरी जिंदगी में कुछ पल तो निकलने ही चाहिए और अपने बचपन के मित्रो के लिए कुछ समय तो निकलना ही चाहिए ओर रिसर्च भी कहती है मित्रो से बात करने से स्ट्रेस कम होता है ! वैसे ये फ्रेंडशिप डे पशतय सभ्यता का प्रतीक है पर जब भी हम किसी की मित्रता की बात करते है तो श्रीकृष्ण भगवन और सुदामा जी की मित्रता की मिशाल देते है जहा से अमीरी गरीबी सब परे रह जाती है बस मित्रता ही रह जाती है आइये अब बात करते है की किस प्रकार हम अपने मित्रो से मिल सकते है ! सामाजिक समारोह :- हम अपने बच्चो के जन्मदिन ,मुंडन व इसी प्रकार के अन्य मौको पर अपने मित्रो को बुलाना न भूले और मित्रो का भी यह फर्ज बनता है की वो इस प्रकार की खुशियों में अवश्य शामिल हो किसी भी प्रकार का बहाना न बनाये क्योकि मेरा ऐसा विश्वास है की जब आप इस प्रकार के मौ...