रिक्शेवाले का दर्द मेरी कलम से......
आपका प्रोत्साहन ही मुझे ताकत देता हैं। आपके प्रोत्साहन का सदैव इंतजार रहता हैं।
मैं रिक्शा चलाता हूँ ,
दिन में रात में
रिक्शेवाले का दर्द मेरी कलम से......
मैं रिक्शा चलाता हूँ ,
इंतजार करता हूँ एक सवारी ,
जब आती है मेरी
मैं सवारी उठाता हूँ।
मैं रिक्शा चलाता हूं।
दिन में रात में
धूप में बरसात में
अपना काम करता जाता हूं।
मै रिक्शा चलाता हूं।
हल्की हो या भारी ,
कैसी भी हो सवारी
उनको लेकर जाता हूं।
मै रिक्शा चलता हैं।
चिल्लाता है मुझपर पुलिसवाला ,
हटाता है मुझे दुकानवाला ,
मै सबकी सुनता जाता हूँ।
मै रिक्शा चलता हूं।
पैसे मिलते है बहुत कम ,
पर इसका नहीं है कोई गम
बस अपने परिवार का पेट भरता जाता हूँ।
हाँ भाई मैं रिक्शा चलता हूं।
(चित्र सौजन्य से wikimedia.org )
धन्यवाद
आपका विनय सेंगर
(चित्र सौजन्य से wikimedia.org )
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