रात की बारिश (बच्चो की कविता)
रात की बारिश (बच्चो की कविता)
सौजन्य से wikimedia.org
ढल गया सूरज , बिछ गए बिस्तर
खाकर भोजन हम, सो गए छत पर ,
सो गई अम्माँ , सो गई नानी ,
बच्चे सो गए , सुनकर कहानी,
चुपके -चुपके अंधी आई ,
अपने साथ धूल वो लाई ,
चाचा जागे , पापा जागे ,
बिस्तर लेकर अंदर भागे,
अम्मा ,नानी , चाची जागी ,
बच्चो को ले घर अंदर को भागी,
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आंधी ले ली तब अंगड़ाई ,
धड़क धड़क टीन खड़खड़ाई ,
पेड़ की शाखा टूटी चटक चटक कर,
दूर गिरा अब घर का छप्पर ,
अब बारिश की बारी आई ,
बुँदे गिरी टपक टपक कर ,
हवा करे अब फर्र-फर्र-फर्र,
बच्चे सो गए सब अब डरकर ,
बिजली चमके चमक -चमक कर ,
शीशे टूटे चटक-चटक कर ,
फिर सब धीरे-धीरे थम गया,
घर का हर व्यक्ति सो गया,
सुबह हुई फैली उजयाली,
चारो तरफ थी , नई हरियाली।
विनय सेंगर
डिब्रूगढ़ , असम
मोबाइल - 8544333541
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