CAA का विरोध क्यो .
आज भारत के सामने सबसे बड़ी समस्या है की राजनैतिक दाल भारत में अपने राजनैतिक हितो के लिए देश की बलि चढ़ाने को तैयार है और किसी भी बात को सम्प्रदियिक रूप देना एक बहुत ही अच्छा सेशन बन गया है आप किसी भी बात को हिन्दू मुस्लिम के बिच का मामला बताकर अपना राजनैतिक हिट साधने की कोशिश करते है , वर्तमान में लोग पुरजोर तरीके से CAA का विरोध कर रहे है और बता रहे है की भारत सरकार की जगह UN को अपनी निगरानी में संग्रह करवाकर CAA या NRC लागु करने का फैसला लेना चाहिए। अब पता नहीं ये मुस्लिम तुष्टिकरण है या ये इनकी राजनैतिन विद्वेषता है जो अंधे होकर बिना सोचे समझे कुछ भी बोले जा रहे है इन लोगो की यही बात लोगो को भड़काने का कार्य करती है। यही बात उन बच्चो पर भी लागु होती है जो भारत सरकार को फासिस्ट घोषित करने में लगी हुई है। ये दंगे जो CAA के विरोध में असम से शुरू हुए थे वो अब असम में बंद हो गए है क्योकि यहाँ की जनता ये जान चुकी है की अब जो भी होना है वो कोर्ट के माध्यम से ही होगा और यहाँ के सरकारी तंत्र ने भी इसमें लोगो को समझाने में सफलता पायी है और उन्हें शांतिपूर्ण प्रोटेस्ट करने की छूट दी गई है अब यहाँ के लोगो द्वारा शांतिपूर्ण व् संवैधानिक रूप से अपना विरोध जारी रखा है इसमें सभी प्रकार के सरकारी एवं व्यसायिक प्रतिष्ठान दिन भर खुले रहते है जिसमे दिहाड़ी मजदूरों और कामगारों को आर्थिक संकट भी नहीं होता है और लोगो का विरोध भी दर्ज होता है। अब अगर लोगो को कुछ समझने की जरुरत है की जो लोग पुलिस को इन दंगो का जिम्मेवार बता रहे है तो वो क्या है जो आजकल मीडिया में दिखाया जा रहा है जहां पुलिस वालो को जानवरो की तरह पीटा जा रहा है। क्या पुलिस वालो का कोई ह्यूमन राइट नहीं है। किसी वजह से जाट आंदोलन या अन्य कई आंदोलन रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है की दंगो के नाम पर जो भी सरकारी या पब्लिक सम्पति को नुकसान पहुचायेगा उससे पहचान कर भरपाई की जाये , और छात्रों को भी कहा की आप छात्र है तो कुछ भी करने की छूट नहीं पा सकते।

धन्यवाद
-विनय सेंगर
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