क्या याद मुझे तुम करते हो या आपस में ही लड़ते हो
क्या याद मुझे तुम करते हो या आपस में ही लड़ते हो ,
मैं देख रहा हूँ , देश की हालत क्या तुमने कर दी है ,
मैं देख रहा हूँ , देश की हालत क्या तुमने कर दी है ,
सोच रहा था क्या मैंने इसीलिए जान दी है ,
क्यों पल रहा देश में मेरे ये आतंकवाद ,
क्यों सूरा सा बढ़ाता है ये नक्सलवाद ,
तुमने हिन्दू -मुस्लिम करके अपनी शान बढ़ाई है ,
और हम हिन्दू -मुस्लिम ने मिलकर देश के लिए जान गवाई है,
घर में मेरे भी वो तोतली बोली मुझे बुलाती है,
घर पर मेरे माँ-पापा की रोती आंख बुलाती है ,
पर तुम क्या जानो ,तुम्हे अपनी दुकान चलानी है,
कोई मरे, देश टूटे ,तुमको करनी मनमानी है ,
मैं ये देखकर दिल रोता है ,आत्मा मेरी आहत हैं ,
देश रहे आबाद हमारा ये हम सबकी चाहत है ,
विनय कुमार सिंह
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