विवाह
विवाह
एकाएक मेरे पास मेरे एक मित्र का फोन आया की तुरंत घर आओ मैंने उनसे पूंछा की बात क्या है तो मरा मित्र बोला जल्दी घर आओ , और फिर फोन काट दिया। मै आनन -फानन में ट्रैन पकड़ कर उसके घर पंहुचा। वहां जाने पर पता चला कि उसकी पत्नी वंदना घर छोड़कर मायके चली गई है। वह क्यों गई यह पूछने पर मित्र ने बताया की हम लोगो के बीच काफी झगड़ा चल रहा है इसलिए वह मायके चली गई है और वह से उसने तलाक के कागजात भिजवाए है , यह सुनकर मुझे आज से 8 साल पहले का कालेज का मंजर सामने आ गया जब मेरे मित्र को उससे प्यार हुआ था परन्तु उसके पास हिम्मत नहीं थी की वह वंदना को यह बता सके , उसके कहने पर ही मै वंदना से मिला और अपने मित्र की बात उससे कही क्योकि मै यहाँ जनाता था की वंदना भी उसे चाहती है और इस प्रकार वंदना और मेरे मित्र के बीच प्यार का ये सिलसिला दोनों परिवारों की सहमति से विवाह के गठबंधन में बंध गया और आज हालात यहाँ तक पहुंच गए की दोनों कब साथ चलते -चलते विपरीत दिशा की और मुड गए पता ही नहीं चला। आज तलाक की बात सुनकर जितना धक्का मुझे लगा शायद उतना मेरे मित्र जीतेन्द्र को नहीं लगा होगा क्योकि कही न कही दोनों को एक करने में उनके प्यार के साथ मेरा भी हाथ था।
खैर अब मैंने वंदना को फोन किया क्योकि वह मेरी भी अच्छी मित्र थी और मैंने उसे तुरंत घर आने को कहा पहले तो उसने कहा विनय नहीं अब सब समाप्त हो गया है अब कुछ नहीं बचा मेरे और जीतेन्द्र के बीच परन्तु मेरे ज्यादा दवाब देने पर वंदना घर आने को तैयार हुई। मैंने जीतेन्द्र से उसके विचार जानने चाहे तो वह बोला विनय यार अब तू ही मेरा घर बचा सकता है। 1 घंटे के बाद वंदना भी वापस घर आ गई तो मैंने तलाक का कारण जानना चाहा तो वंदना ने बताया की मुझे लगता है की ये मुझे समय नहीं दे रहे है , जिसका कारण इनका अपने ऑफिस में किसी युवती से प्रेम संबंध है जब मैंने विस्तार में पूछा तो पता चला की जीतेन्द्र अपने व्यवसाय में अत्यधिक व्यस्तता के कारण घर पर ज्यादा समय नहीं दे पाया ,जिससे वंदना के मस्तिष्क में प्रेम-संबंध का विचार घर कर गया जो वास्तव में था ही नहीं।
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अब मैंने वंदना को समझाना शुरू किया तो वह बोली नहीं विनय तलाक ही एक आखिरी विकल्प है जिस पर मैंने कहा यह तो मुमकिन ही नहीं है क्योकि तुमने जीतेन्द्र से निकाह तो किया नहीं था न ही जीतेन्द्र तुम्हारे शौहर है न तुम उसकी बीबी तलाक के लिए निकाह करना पड़ेगा तो दोनों के चेहरे पर थोड़ी मुस्कान फ़ैल गई जैसे कालेज के दिनो में होती थी फिर मैंने कहा डाइवोर्स के बारे में भी मत सोचना क्योकि तुम उसकी वाइफ नहीं हो तो वंदना बोली मुझे शब्दों में मत उलझाओ , मैंने जवाब दिया वंदना तुमको मैंने यहाँ कोई हिंदी का शब्द ज्ञान देने के लिए नहीं बुलाया है जिस तरह आज से 8 साल पहले जीतेन्द्र में प्यार का प्रस्ताव रखा था उसे फिर दोहराने की कोशिश मात्र है। क्योकि तुम जीतेन्द्र की पत्नी हो और वह तुम्हारा पति और तुमने उससे विवाह किया है और विवाह में तलाक या डाइवोर्स की कोई जगह नहीं होती है और वंदना तुम एक बार मेरे कहने पर अपने विवाह का एल्बम देखो और जीतेन्द्र तुम अपने कॉलेज का। मै तुम दोनों से शाम के खाने पर मिलता हूँ। फिर मै चला गया शाम को आने पर देखा की वंदना और जीतेन्द्र दोनों मिलकर डाइनिंग टेबल को सजा रहे थे और ऐसा होता भी क्यों न क्योकि आज उन्होंने पुनः मानसिक विवाह किया था।
धन्यवाद
आपका विनय सेंगर
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