मेरी सोच
मेरी सोच
मेरी कलम की नोक अभी मोटी है
क्या लिखूं सोच अभी छोटी है।
।
सीखा कवियों के गीत से।,
सीखा संगीतज्ञों के संगीत से।
प्रेरणा देती मुझे दिवार की तस्वीर,
प्रेरणा देती मुझे रास्ते के राहगीर।
क्या करू कलम अभी छोटी है ,
क्या लिखूं सोच अभी छोटी है।
कलम ज्यादा चलती नहीं ,
अभी लिखी कविता खिलती नहीं।
सोचना पढता है ज्यादा अभी ,
कलम को रोकना पड़ता है अभी।
क्या करू कलम अभी रोती है ,
क्या लिखूं सोच अभी छोटी है।
मन में जो आया वो लिखा दिया,
दिल ने जो बताया वो लिख दिया।
फिर भी अँधेरा अभी छटा नहीं
मन में उठा कम्पन अभी घटा नहीं।
मेरी ये कविता अभी खोटी है ,
क्या लिखूं सोच अभी छोटी है।

मैंने मन को लिखने से रोका,
लेखनी को चलते में टोका।
मन ने मेरा कहा कभी नहीं माना ,
लेखनी कब चल गई ये नहीं जाना।
पर लेखनी चलने में अभी सोती है ,
क्या लिखूं सोच अभी छोटी है।
और ऊपर उठना चाहता हूँ मै ,
अभी और लिखना चाहता हूँ मै।
चमकना चाहता हूँ जैसे चमके रवि ,
पहुँचना चाहता हूँ जहाँ पहुंचे कवि।
पर दूर पर्वत की अभी चोटी है ,
क्या लिखूं सोच अभी छोटी है।
धन्यवाद
- विनय सेंगर
फॉलो करे विनय सेगर
मेरी कलम की नोक अभी मोटी है
क्या लिखूं सोच अभी छोटी है।
।
सीखा कवियों के गीत से।,
सीखा संगीतज्ञों के संगीत से।
प्रेरणा देती मुझे दिवार की तस्वीर,
प्रेरणा देती मुझे रास्ते के राहगीर।
क्या करू कलम अभी छोटी है ,
क्या लिखूं सोच अभी छोटी है।
कलम ज्यादा चलती नहीं ,
अभी लिखी कविता खिलती नहीं।
सोचना पढता है ज्यादा अभी ,
कलम को रोकना पड़ता है अभी।
क्या करू कलम अभी रोती है ,
क्या लिखूं सोच अभी छोटी है।
मन में जो आया वो लिखा दिया,
दिल ने जो बताया वो लिख दिया।
फिर भी अँधेरा अभी छटा नहीं
मन में उठा कम्पन अभी घटा नहीं।
मेरी ये कविता अभी खोटी है ,
क्या लिखूं सोच अभी छोटी है।

मैंने मन को लिखने से रोका,
लेखनी को चलते में टोका।
मन ने मेरा कहा कभी नहीं माना ,
लेखनी कब चल गई ये नहीं जाना।
पर लेखनी चलने में अभी सोती है ,
क्या लिखूं सोच अभी छोटी है।
और ऊपर उठना चाहता हूँ मै ,
अभी और लिखना चाहता हूँ मै।
चमकना चाहता हूँ जैसे चमके रवि ,
पहुँचना चाहता हूँ जहाँ पहुंचे कवि।
पर दूर पर्वत की अभी चोटी है ,
क्या लिखूं सोच अभी छोटी है।
धन्यवाद
- विनय सेंगर
फॉलो करे विनय सेगर
صحيح جدا
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