secret to become rich ....(अमीर बनने का राज)
सभी सोचते है की अमीर लोग अमीर कैसे बनते है कोई बोलता है की फलां व्यक्ति ने बेईमानी से धन कमाया है या कोई गलत तरीका अपनाया होगा पर यह बात पूरी तरह से सही नहीं होती है , आज मै आपको बताऊंगा की क्यों अमीर लोग और अमीर होते जाते है और क्यों एक माध्यम वर्गीय व्यक्ति निम्न माध्यम वर्ग का या फिर गरीब हो जाता है आपने सेट मैक्स पर आने वाली फिल्म सुर्यवंशम तो देखी होगी जिसमे अमिताभ बच्चन पहले एक बस खरीदता है फिर उसी बस से कमाई करके उसके पास पूरा ट्रांसपोर्ट खरीद लेंता है , इस फिल्म में बस इतना ही भाग आपको अमीर बनाने में मदद करता है !अब बात करते है कि ऐसा क्या मुख्य अंतर है जो अमीर और गरीब को विभाजित करता है तो वह है सोचने का तरीका ! हाँ जी सोचने तरीका ही हमें अमीर या गरीब बनता है!
चित्र :- सौजन्य से विकिपीडिया
चलिए अब बात करते है कि अमीर व्यक्ति हमेशा अपनी संपत्ति को को एक आय के रूप में पर्वतित करते है जबकि यही गरीब व्यक्ति इसे एक लायबिलिटी के तौर पर देखता है ! जैसे एक उदहारण के तौर पर एक अमीर व्यक्ति अपने नकद धन से कार खरीदता है तो वह उसके लिए एसेट है और वह उसे रेंट पर ओला ,उबर , जैसी जगह लगाकर धन अर्जित करता है और इस अर्जित धन से पुन: कोई इसी प्रकार की संपत्ति खरीदता है जिससे ज्यादा अर्जन हो सके और यही चक्र उसे अमीरी की और ले जाता है , यहीं पर माध्यम वर्गीय व्यक्ति एक कार लोन पर खरीदता है और उसे अपनी शान के तौर पर लेता है ! आपको यह जानकर हैरानी होगी की धनी व्यक्ति बहुत ज्यादा शान दिखाने में अपना धन व्यव नहीं करता है क्योकि वो जनता है की उसे ऐसा करने की आवश्यकता ही नहीं है ! इसके विपरीत माध्यम वर्गीय व्यक्ति वही कार बैंक से लोन लेकर खरीदता है और हर महीने उसकी मासिक क़िस्त ब्याज के तौर पर जाती है जिससे अगर वह धनी व्यक्ति की तरह व्यहार करे भी तो उससे कम ही आय होगी ! माध्यम वर्गीय व्यक्ति अपना धन अपनी शान दूसरो को दिखने के चक्कर में खर्च करता है ,इसे "आमदनी अठन्नी खर्चा रूपया " कहते है ! आपको यह जानकर आश्चर्य होगा की दुनिया के सबसे धनी व्यक्तियों में शुमार वारेन वाफ्फेट ने अपना घर , गाड़ी और बंगला कभी नहीं बदला और तो और उन्होंने जिस टेबल पर अपना व्यवसाय शुरू किया था ! वो सदैव उसी टेबल को उसे करते रहे है !उनका यह भी कहना है की स्वयं में निवेश करो और क्रेडिट (लोन) से दूर रहे !आज लोगो की एक मानसिकता हो गई है की जल्दी से एक घर खरीद लो , एक गाड़ी हो बस यही उसकी जिंदगी की सफलता का राज है , इसी कारण वह बैंक से लोन ले लेता है फिर उसकी अदायगी करने में लगे रहते हैं !
चित्र:- सौजन्य से विकिपीडिया
इसका यह मतलब बिलकुल नहीं है की आप उधर या लोन बिलकुल न ले, अगर आपको लोन लेने की आवश्यकता है भी तो आप अपनी रीपेमेंट क्षमता को पहचाने और उसके अनुसार लोन ले व पूरी प्लानिंग के अनुसार ही उस धन को खर्च करे और इस और ध्यान रखे की आप भी एसेट ख़रीदे न की लायबिलिटी ! एक बात यहाँ और ध्यान देने लायक है की कभी भी खर्चा दिखावे के लिए न करे बल्कि आपनी ख़ुशी के लिए करे , क्योकि आप यदि दूसरो को दिखाने के लिए खर्च कर रहे है या फिर दूसरो पर खर्च कर रहे है तो याद रखे की यदि आप भूखे होंगे तो वो आपकी मदद नहीं करेंगे क्योकि यह मानव स्वभाव है "सुख में सुमिरन सब करे दुःख में करे न कोय "इसलिए दुसरे क्या कहेंगे इसके बारे में चिंता न करे ,क्योकि ये वही लोग है जो अमीर यदि "चना खाए तो शौक और गरीब खाए तो खाने को नहीं है " कहते है ! अब आपको अपने विवेक के अनुसार कार्य करना है और एसेट एंड लायबिलिटी के फार्मूले को ध्यान में रखे !
जय हिन्द
आपका विनय सेंगर
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